बिना एग्रीमेंट के कई वर्षों से चल रही इंदिरा मार्केट शॉपिंग सेंटर की सभी दुकानें प्रबंधन बैठा खामोश।
भारत की आवाज़ डिजिटल डेस्क ।।जयंत।। केंद्रीय कर्मशाला परियोजना के अंतर्गत आने वाले इंदिरा मार्केट शॉपिंग सेंटर जहां पर केंद्रीय कर्मशाला परियोजना के द्वारा 1989 में 12 दुकानों का लोगों को एग्रीमेंट के तहत अलॉटमेंट किया गया था।

एग्रीमेंट के अनुसार दुकानों की लंबाई चौड़ाई के आधार पर दुकानों का किराया तय किया गया था उस वक्त दुकानदारों से मिली जानकारी के मुताबिक उस वक्त दुकानों का किराया 250रूपये प्रतिमाह था और होटलों का किराया ₹500 प्रति माह तय किया गया इसके अलावा बिजली का बिल अलग सभी दुकानों में अटैच लेट बाथरूम की सुविधा भी दी गई थी लेकिन होटल संचालक का कहना है कि कि दोनों होटलों के लिए लैट्रिन बाथरूम की सुविधा बाहर में दी गई थी अंदर व्यवस्था नहीं दी गई थी पुराने दुकानदारों से बात करने पर पता चला कि होटल के लिए उस वक्त के जीएम के द्वारा होटल चलाने के लिए भट्टे की जरूरत होती थी जिसके लिए प्रबंधन के द्वारा 5 फीट की जमीन अलग से होटल के किनारे दोनों होटल वालों को दी गई चूल्हा भट्ठा बनाने के लिए।
आज इंदिरा मार्केट शॉपिंग सेंटर की दुकानों का ना ही अलॉटमेंट है ना ही उन दुकानदारों के द्वारा पिछले कई वर्षों का बिल दिया गया चाहे बिजली का बिल हो या दुकान का किराया हो दोनों का दोनों बिल पिछले कई वर्षों से जमा नहीं किया गया है।
केंद्रीय कर्मशाला परियोजना के द्वारा इंदिरा मार्केट की शॉपिंग सेंटर की दुकानों का बिना एलॉटमेंट संचालन होना यह तो प्रबंधन की मनसा जाने कि ऐसा क्यों हो रहा है लेकिन इंदिरा मार्केट की दुकानों में अगर कभी कोई बड़ा हादसा हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा क्या केंद्रीय कर्मशाला के प्रबंधन उसकी जिम्मेदारी लेंगे या दुकानदार किसी बड़ी घटना हो जाने पर कि जिम्मेदारी लेंगे।
जो भी है प्रबंधन की ओर से भ्रष्टाचार को खत्म नहीं कर पाने का यह रवैया समझ में नहीं आया कहीं ना कहीं प्रबंधन मजबूर नजर आ रहा है इसी सब मामले पर यूनियन के नेता भी चुप है कोई भी यूनियन का नेता कुछ नहीं करना चाहते है इंदिरा मार्केट शॉपिंग सेंटर में इतनी बड़ी चीजें सामने आ रही हैं इस पर यूनियन के किसी भी नेता की ओर से कोई बयान नहीं आया है सभी लोग इस मामले पर बचते हुए नजर आ रहे हैं कई दुकानदार के कई नेताओं से अच्छे संबंध भी हैं हो सकता है इसकी वजह से यूनियन के नेता कुछ बोलने से बच रहे हैं यूनियन के नेताओं को सही का साथ देना चाहिए अगर दुकानदारों का एलॉटमेंट नहीं है तो उसे सबको मिलकर दुकानदारों का एलॉटमेंट कराना चाहिए और केंद्रीय कर्मशाला को प्रतिमाह लाखों का चूना जो लग रहा है उसे बचाया जाना चाहिए दुकान एलॉटमेंट नहीं होने से दुकानदार न तो बिजली का बिल जमा कर रहे हैं ना ही दुकान का किराया दे रहे है।
इंदिरा मार्केट में संचालित कई दुकानों की बिक्री भी हो गई है ऐसी जानकारी आ रही है जिनके नाम पर दुकान एलॉटमेंट रहा है वह लोग आज मौजूदा समय में मौजूद नहीं है या तो वह लोग दुकानों को बेच कर चले गए हैं या दुकानों को दूसरे को किराए पर दे दिया है दुकानदारों के द्वारा प्रबंधन को किराया तो नहीं दिया जा रहा हैं लेकिन कुछ दुकानदारों के द्वारा दुकानों को किराए पर लगाकर अपना किराया जरूर लिया जा रहा है यह भी बड़ा मुद्दा सामने आया हैं।
इस मामले पर जवाब केंद्रीय कर्मशाला परियोजना के एस.ओ.पी को फोन लगाया गया तो उनका फोन नहीं लगा जिस कारण से उनका बयान सामने नहीं आ सका दूसरी और यूनियन नेताओं से भी मैसेज के द्वारा इस मामले पर उनकी क्या प्रतिक्रिया क्या है जानने की कोशिश की गई लेकिन अभी तक किसी भी यूनियन नेता ने अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी हैं।
सीटिया एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिव ने परियोजना प्रबंधन को लेटर लिखा है और बड़े यूनियन नेताओं से पहले सामने आकर के केंद्रीय कर्मशाला प्रबंधन के क्षेत्र इंदिरा मार्केट में संचालित दुकानों में जो भी कमियां है उसे दूर कराए जाने को लेकर प्रबंधन को पत्र लिखा है पत्र के माध्यम से बताया गया कि इंदिरा मार्केट की जो दुकानें हैं प्रबंधन की ओर से दिया गया था उससे कहीं ज्यादा आज के समय में दुकानों को बढ़ा लिया गया है जो कि गलत है दुकान जितना दिया गया था उतना ही रहना चाहिए दुकान को अलग से निर्माण नहीं करना था लेकिन दुकानदारों के द्वारा अलग से भी कई चीजों का निर्माण कराया गया जो कि गलत बताया जा रहा इसके आगे दुकानदारों के द्वारा रोड के पीछे साइड में मलवा पड़ा रहना भी बताया गया जिससे आवागमन बाधित होता है कई अन्य मुद्दों को लेकर सीटिया एसोसिएशन के अध्यक्ष त्रिवेणी प्रसाद एवं सचिव सुरेश तिवारी ने प्रबंधन को पत्र लिखा जल्द से जल्द समस्या का समाधान कराए जाने को लेकर मांग किया हैं।
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